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कैसा जिला है ये… जहां नवजात के शव को घर तक पहुंचाने के लिए मुक्तांजलि वाहन तक नसीब नहीं हुआ?

Hemant Kumar pal

11-11-2025 10:38 AM
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कैसा जिला है ये… जहां नवजात के शव को घर तक पहुंचाने के लिए मुक्तांजलि वाहन तक नसीब नहीं हुआ?


हेमंत पाल खैरागढ़ जिले के छुईखदान ब्लॉक के झुरनदी गांव से दिल को झकझोर देने वाला एक और मामला सामने आया है।

यहाँ दो मासूम नवजातों की हत्या के बाद जब उनके शवों का पोस्टमार्टम पूरा हुआ तब परिजनों को अस्पताल से गांव तक ले जाने के लिए मुक्तांजलि वाहन तक नहीं मिला।मृतकों के परिवार ने घंटों तक इंतजार किया, लेकिन कोई वाहन नहीं पहुंचा।बेबस मां-बाप ने आखिरकार अपने नवजातों के शव को “कबाड़ धोने वाली गाड़ी” में रखकर गांव तक लेकर जाने का दर्दनाक फैसला किया।

बेसहारा इंसानियत की तस्वीर

रविवार को झुरनदी गांव में दो नवजात की निर्मम हत्या कर उन्हें कुएं में फेंक दिया गया था।पुलिस ने शव बरामद कर पोस्टमार्टम के लिए अस्पताल भेजा।पीएम के बाद जब परिजन बच्चों को अंतिम विदाई देने के लिए गांव ले जाना चाहते थे, तो उन्होंने मुक्तांजलि वाहन की मांग की।कर्मचारियों ने उन्हें “थोड़ी देर में गाड़ी आ जाएगी” कहकर टरका दिया।परिजनों ने करीब एक घंटे से अधिक का इंतजार किया, लेकिन गाड़ी नहीं आई।आखिरकार उन्होंने कबाड़ धोने की गाड़ी में दोनों मासूमों के शव रखे और गांव की ओर निकल पड़े।

अस्पताल में ₹500 वसूले जाने का आरोप

सूत्रों के अनुसार, परिजनों से पोस्टमार्टम के दौरान ₹500 रुपये की मांग भी की गई,जो कि सरकारी अस्पताल में न केवल अनैतिक बल्कि नियमों के खिलाफ है।परिजन रोते हुए बोले

हम गरीब हैं, हमसे पैसा भी लिया और गाड़ी तक नहीं दी… हमारे बच्चों को ऐसे ले जाना पड़ा जैसे कोई बोझ।

लचर स्वास्थ्य व्यवस्था पर बड़ा सवाल

यह कोई पहला मामला नहीं है।कुछ महीने पहले खैरागढ़ के मोगरा गांव से भी ऐसा ही मामला सामने आया था, जहाँ एक परिवार को शव को राजनांदगांव तक बस से ले जाना पड़ा क्योंकि 108 और मुक्तांजलि सेवा उपलब्ध नहीं थी।यह लगातार होती घटनाएँ स्वास्थ्य विभाग की संवेदनहीनता और सिस्टम की सड़ांध को उजागर करती हैं।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने टाल दी बात

जब इस पूरे मामले पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. आशीष शर्मा से बात की गई,तो उन्होंने कहामुक्तांजलि वाहन खैरागढ़ से निकल गया था। लेकिन परिजन जल्दबाजी में खुद ही शव लेकर चले गए।

उनका यह बयान सवालों को और गहरा कर देता है

अगर वाहन निकल गया था, तो वह कहाँ फंसा?

क्यों परिजनों को अस्पताल प्रबंधन ने अपडेट नहीं दिया?

और आखिर क्यों हर बार गरीब ही सिस्टम की लापरवाही का शिकार होता है?

जिला बना सवालों का केंद्र

खैरागढ़ जिला अब मानवता के सबसे बुरे इम्तहान से गुजर रहा है

जहाँ स्वास्थ्य विभाग की मशीनें चल रही हैं, लेकिन संवेदनाएं मर चुकी हैं। जहाँ सरकारी गाड़ियाँ हैं, पर जरूरतमंदों तक नहीं पहुँचतीं।

जहाँ मुफ्त सेवा का दावा है, लेकिन जेब से पैसे निकलवाए जाते हैं।


Hemant Kumar pal

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